बंंशी वाला आओ न मारे देश,
ऐजी थारी सांवली सूरत वाली वेष ।।टेर।।
आवण जावण कह गिया,
कर गिया कोल अनेक।
गिणता गिणता घिस गई,
मारे आंगलियां री रेख ।।1।।
पगा रंगीली पावडियांं,
सिर पर लाम्बा केश।
घर घर अलख जगावती रे,
कर कर भंगवा भेष ।।2।।
राय आंगण बिच होद खुदाऊ रे,
हरियो लगा देऊ बाग।
फुलड़ा रे मस आवज्यो रे,
राखूली बिलमाय।।3।।
झरमर पानां आमली रे,
लम्बा पेड़ खजूर।
पंछी को छाया नहीं रे,
फल लागे अति दूर ।।4।।
बागां बाली कोयलियां रे,
बन में बाेल्या मोर।
मीरां ने प्रभु गिरधर मिलिया,
मिलिया नन्द किशोर ।।5।।
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