सुर बिना पूंगे नाय मारग थक जाता।
सुर ने सिवरे सोई भाग से पाता हे वोजी।।टेर।।
कंठ कंवल के मांय सरस्वती माता।
वो आवे टकशाल भजन फल पाता ।।1।।
शिव शक्ति के हेत अमृत बरसाता।
पीवे भरला साद अमर हो जाता ।।2।।
नुगरा ने पीवे जहर जहर मर जाता।
करोड़ जतन कर देख मोक्ष नहीं पाता ।।3।।
मल्या मछन्द्रनाथ मारग बतलाता।
गावे गोरखनाथ भजन फरमाता हे वोजी ।।4।।
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