भाईड़ा भजलो राम गेला गम का।
झीणा झीणा जपना जाप ,
सरोदा सुन्न का हे वोजी ।।टेर।।
सिंवरू सारद माय बुद्धि दो दाता।
घट सिवरू हिंगलाज उगम की बातां ।।1।।
इला पिंगला सोध खेल सुखमण का ।
कुंभ कलश भर लाय मेट दी संका ।।2।।
तरबीणी तार लगाय तंदूरा तन का ।
वहां नरभे हो जाय मोरणा मन का ।।3।।
सोवनी शिखरगढ़ देख अणगड का।
इला पिंगला सोध खेल सुखमण का ।।4।।
गोरख जपिया जाप और कोई जपणा ।
अन्त समय के मांय कोई नहीं अपना हे वोजी ।।5।।
बहुत ही सुन्दर वाणी ।।🌷🙏🙏🌷
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