है कोई रूप अरूप ,
संगत नत कीजे।
रहो चरणो का दास ,
असी गत लीजे ।।टेर।।
नाभ कंवल के मांय ,
अमीरस पीजे ।
भगत सगत पाय ,
चरण चत दीजे ।।1।।
आठ पांख पर वाण ,
हरा रंग कीजे ।
आठ ही अंग पेछाण ,
असी धन दीजे ।।2।।
पंच ज्योति परकाश ,
दरसण कर लीजे ।
गरूगम से गम पाय ,
भजन अंग लीजे ।।3।।
मल्या मछन्दरनाथ ,
दरसण कर लीजे ।
गावे गोरखनाथ ,
रूप गह लीजे ।।4।।
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