गरू चरणां में आय होवे निवेड़ा।
टले जमा की मार ,
बचन सुण मेेेरा ।।टेर।।
हरदा कंवल के मांय ,
राम है मेरा ।
वहां जा प्रीत लगाय ,
मटे जम जेड़ा ।।1।।
गरू शबद परकाश ,
और अंधेरा ।
जहां शबद को आगे ,
मिले मले बहेरा ।।2।।
गरू बिना पावो नाय ,
करोजी हेरा ।
मन मुक्ति नहीं होय ,
मटे नहीं फेरा ।।3।।
पूरब पेला भाग ,
साईजी के नेड़ा ।
गावे गोरखनाथ ,
भजन कर हेरा ।।4।।
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