सांवरिया तेरा काज समझ में नहीं आया भजन लिरिक्‍स sanwariya tera kaaj samaj me nahi aaya



सांवरिया तेरा काज समझ में नहीं आया,

जो काई काज समझ कर बैठा।

वो ही अमर पद पाया ।।टेर।।


धर असमान पवन और पाणी,

इगन बणाया तुम कैसे ।

चांद सूरज दो दीप बणाया,

उनकी ज्‍योति अलग कैसे ।।


चांद सूरज पूरब से उगता,

पश्चिम में जाता कैसे।

तारा की तो लूम बणाई,

रेण दिवस होता कैसे ।।


सात  द्वीप नौ खण्‍ड बणाया।

सबको अलग सजाया ।।1।।


बिजली चमके इन्‍दर गाजे,

बादल में जल रेवे कैसे।

जल ऊपर तो नीम जमी की,

अम्‍बर अदर पदर कैसे ।।


सात दिनोंका सात वार है,

महीना साल बण्‍या कैसे।

बावन अक्षर तूने बणाया,

गणती भेद अलग कैसे ।।


चवदा तुुुमने लोक बणाया,

चवदा रतन निपजाया ।।2।।


लख चौरासी जूण बणाई,

सबका शरीर अलग कैसे ।

चार तूने खान बणाई,

फिर उनका नाम अलग कैसे।।


नर नारी दो जात बणाई,

उनका रूप अलग कैसे।

हाथ पांव सब एक सरीखा,

मुख पर सूरत अलग कैसे ।।


हाड़ मांस और रोम चामड़ी,

कैसे गरभ में बणाया।।3।।


नारी के दो थान बणाया,

उनमें दूध बणा कैसे।

मुख में दांत बत्‍तीसू निकले,

 जिब्‍या स्‍वाद करे कैसे ।।


नेणा निरत करे घाटो का,

कान शबद सुणता कैसे।

गंध सुगन्‍धी लेत नाक से,

बाल अलग निकले कैसे ।।


चमड़ी चोला है तन ऊपर,

पुर्जा अजब जमाया ।।4।।


जल सा तुमने घाट बणाया,

रोम रोम चेतन कैसे।

सांसा डोरी अजब लगाई,

नाभी में सांस रहे कैसे ।।


कौन बोलता घट के भीतर,

छूपा लिया तुमने कैसे।

कैसे आवे कैसे जावे,

उनका पता मिले कैसे ।।


जनम मरण सुख दु:ख का फन्‍दा,

क्‍यो जीव तरसाया।5।।


बीज मूल का पेड़ बणाया,

पत्‍ता फूल अलग कैसे ।

कई जरेली जड़ी बूटियां,

खाता अमर मरे कैसे ।।


ये सब खेल तुमने बणाया,

फिर तुम अलग रहा कैसे।

''आतमनन्‍द भारती'' गावे,

तेरा दरस मिले कैसे ।।


तेरा करतब है बहू भारी,

देख देख हरसाया ।।6।।




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जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...