धर असमान पवन नहीं होता रे,
हम तुम दोनो कुण का रे।
साधूू भाई मन बना कर्म नहीं होता ।।टेर।।
आप अलख जी अगड़ होय बैठा रे,
बून्द अमीरस छूटा ।
एक बून्द का सकल पसारा रे,
अरस परस होय छूटा ।।1।।
मात पिता मल मेले पधार्या रे,
कीदी करम वाली पूजा ।
पैली पिताजी एकेला ही होता रे,
पुत्र जनम गया दूूूजा ।।2।।
सात कुली सायर आठ कुली परबत,
नौ कुली नाग नहीं होता।
अठारा करोड़ बनासपति नहीं थी रे,
कलम काॅय की करता रे ।।3।।
ब्रह्मा भी नहीं था विष्णु भी नहीं था रे,
नहीं था शंकर देवा।
कहत ''कबीर'' मण्डप नहीं होता रे,
माण्डण वाळा कुण था ।।4।।
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