अणी ऐड़ा में मेरा सतगरू आया,
जांके सायब नेड़ो।
संता खेलो गरूगम ऐड़ो ।।टेर।।
अणी काया में नाहर हलियो,
वाने परो ताड़ो।
ज्ञान बंदूक लगा दो गोली,
कर दो नाहर ने खोड़ो ।।1।।
पांच हरण पचीस हरणिया,
जांके नाको बेड़ो ।
हरण्या हरणी ने गाढा ठाबज्यो,
मती छोड़ज्यो केड़ो ।।2।।
दौड़ता दौड़ता घुड़ला थाक्या,
जल नहीं आयो नेड़ो ।
ऊपर चढ़ कर नीचे जाक्यो,
नीचे भरियो धेड़ो ।।3।।
रामानन्द माने सतगरू मलिया,
हर दिखायो नेड़ो।
कहे ''कबीर'' सुणो भाई साधू,
छूट्यो जम को बेड़ो ।।4।।
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