नहीं धरण आकाश नहीं ,
कोई नौ लख तारा ।
नहीं भाण का तेज
बीज बणा वृृृक्ष हमारा,
बणा पानी का धीज है।।1।।
भला धावो रे जग सारा साधू भाई रे ।
पायो पियाजी रो देश,
जिणरा तो करलो विचारा ।
साधू भाई पायो पियाजी रो देश ।।टेर।।
नहीं कंवल नहीं देव,
नहीं कोई पूजा पाती ।
नहीं पुरूष नहीं नार,
नहीं कोई सूरा साथी ।
अधर सदर की मोज है भला ...।।2।।
नहीं राम का काम,
खुुुदा का भेद न पाया ।
नहीं तपत का तेज,
नहीं कोई गाणा गाया।
निराकार पूंगे नहीं भला ....।।3।।
दई शबद की चाेेट,
गरू रामानन्द देवा।
गावे ''कबीर'',
सेण की सांची सेवा ।
सेण बना पूंगे नही भला.... ।।4।।
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