बैठ शिखर पर अणघड़ गाजे भजन लिरिक्‍स beth shikhar par anagad gaje



बैठ शिखर पर अणघड़ गाजे,

नूर धड़ाका उड़ जाता ।

जद अणघड़ का डंका लागे,

खुद आलम घर आ जाता ।।टेर।।


अल्‍ला खुदा थारे पीसे पीसणो,

रख धारू धूण्‍या धमता।

बाबा निरंजन जल भर लाता,

कुदरत कपड़ा धो लेता ।।1।।


चार वेद थारे शंख बजावे,

निराकार नटवा नचता ।

सुरत नुरत थारो हुुुकम उठावे,

करता जो हाजर रेता ।।2।।


ज्‍योति स्‍वरूपी थारे संग बिराजे,

पावन पुरूष पंखा करता ।

करोड़ शम्‍भू माला फेरे,

उनको दरसण नहीं देता ।।3।।


घडिया देव घड़ा में बोले,

घड़बड़ घड़बड़ क्‍या करता ।

घडिया घाट अणघड़ के सहारे,

वे घड़बा में नहीं आता ।।4।।


रामानन्‍द का भणे कबीरा,

घडिया देव ने नहीं धाता ।

''कबीर'' तो अणघड़ ने धाता,

खाबा ने अणघड़ देता ।।5।।




 

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