शरणे आया की राखो लाज,
ऐ मारी आद भवानी ।।टेर।।
आद भवानी अम्बका सजी,
मोटी देव धरियाणी।
आशा थारी लाग रही है,
जगदम्बे महाराणी।।1।।
कलुकाल के मांयने।
सरे चाली थारी धाम।
बांका ने सूदा करो,
सजी जनम सुधारण मात।।2।।
बांयी भुजा हनुमान बिराजे,
सामे सगस को थान।
दूूर दूर का आवे जातरी,
भोपा राखे मान।।3।।
ऊंचा बणियां परकोटा,
मोटा आवरा का थान।
जात जात की बणी सराया,
भोपाजी का मान।।4।।
सामे साम दरखत बड़ला को,
बैठे जातरी आन।
भड़े जो आ गियो पाणी को,
पनघट सापड़ करो स्नान।।5।।
बाडि़या नगर के मांयने,
सजी बैठी आवरा माय।
ठाकुरजी की महिमा भारी,
भैरूजी को थान।।6।।
जितनी महिमा देखी आपकी,
उतनी गाय सुणाय।
सांच झूठ की आप ही जाणो,
जगदम्बे महाराणी ।।7।।
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