तुम रिद्धि सिद्धि लेकर आवो,
गजानन्द प्यारा ।।टेर।।
एक रणत भंवर आप बिराजो देवा।
एक रिद्धि सिद्धि लारा लाय करू थारी सेवा ।।1।।
एक हरी हरी पीली देवा आंगणो निपाऊ देवा ।
एक मातियां रा चौक पूराय करू थारी सेवा ।।2।।
एक न्हाय धोय कर स्नान कराऊ देवा।
इक आभूषण माला पहराय करू थारी सेवा ।।3।।
इक चव चव चन्दन और अरगजा देवा।
एक केशर तिलक चढ़ाय करू थारी सेवा ।।4।।
एक धूप दीप कर आरती संजोऊ देवा।
एक लडूवां का भोग लगाय करू थारी सेवा ।।5।।
एक लोंग सुपारी पान केरा बिड़ला देवा।
एक श्रीफल भेंट चढ़ाय करू थारी सेवा ।।6।।
एक थारी माता पार्वती है देवा।
एक पिता शंकर देव करू थारी सेवा ।।7।।
एक ऊंचे पर्वत आप बिराजो देवा।
एक नीचे नगर बसाय करू थारी सेवा ।।8।।
एक बाई मीरां के प्रभु गिरधर नागर देवा।
एक चित चरणां में लाय करू थारी सेवा ।।9।।
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