निर्गुण पद को गाने से,
मूरख को होता ज्ञान रे ।।टेर।।
अधर पेड़ अम्बर में बड़ का,
जहीं झूले निर्गुण का लड़का।
भेद बतावे उस की जड़ का,
भाई क्यूं बकता बेताल रे ।।1।।
अगन गगन जल धरण पवन है,
इन पांचों का तिपा कौन है।
पांच तत्व का खड़ा भवन है,
इनका कहदे हाल रे ।।2।।
कहो निरंजन किसका जाया,
कुण शंकर ने गोद रमाया।
किसकी पुत्री है या माया,
किसका पुत्र काल रे ।।3।।
निरगुण पद की रंगत केसी,
कहीे गुरा ने करे तलाशी।
'गंगाराम' ज्ञान का प्यासी,
चातुर चुभ गई चाल रे ।।4।।
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