परणियोड़ी नार पिया जी री गम जाणे,
वा कांई जाणे कुंवारी बातां।
बना भेद वा फरे भटकती,
वा खावे लखणाऊ लाता ।।1।।
घायल व्हे ज्यारी ये बातां,
मरजीवां व्हे ज्यारी ये बातां।
लाग रिया बाण मारा सेल गुरां रा ।।टेर।।
सुखमण नार सदा ही सतवन्ती,
वा जाणे पिव सा री बातां।
सतगरू सेण समझ कर दी दी,
भूल गई कुबदा की बातां ।।2।।
मारा गरूजी ने कदीयन भूलूं,
राम नाम नरभे दाता ।
धर असमान साराई डग जावो,
डग जावो सायर साता ।।3।।
प्रेम पोल मारा सतगरू बेठा
वा लग रही मिलबा की खातां।
गरू प्रताप भणे ''राेहिदासा'',
तार में तार मिलायो दाता ।।4।।
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