पेली पेली नाम आपका लेऊ,
रिद्धि सिद्धि गणपत दो स्वामी ।
भक्ति के काज भूप ने छलियो,
प्रहलाद उबार्या छन मांही ।।1।।
ऐवा ऐवा बरद सम्मालो मेरे रामा,
हरि सेवा लागेे प्यारी।
अर्ज करूं भगता का तारण,
एक अर्ज मालक मारी ।।टेर।।
बालक होय रामा ध्यान धरिया,
तन त्यागिया तेरे ताई।
नारद होकर बीण बजाया,
हर मलिया टोटा काही ।।2।।
बलयोड़ा बीज दरजोजन दीदा,
जा दीदा पंडवा ताई।
पंडवा तो प्रीत रामजी से राखी,
आम्बो लगायो छन माई ।।3।।
पांचो पांचो पाण्डू छटी द्रोपदा,
सत भाखे कुन्ता मांई।
भगती के काज हेमाला में गळिया,
जा पहुंच्या दरगे माई ।।4।।
आप अजमल जी सायरिया में रमिया,
जद हरिजी वांने वचन दिया।
करणी के काज कसन घर आया,
आय रूणेजे अवतार लिया ।।5।।
मैं ही लोभी मैं ही लालची,
मैं करणी कूड़ा काचा।
''बगसोजी'' अरज करे धणिया ने,
रावळा बड़द तो है सांचा ।।6।।
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