पपैया पीव की बाणी रे मत बोल,
सुण लेवेली विहरणी रे,
लेवेली पंख मरोड़ पपैया ।।टेर।।
चांच कटादूं थारी पपैया,
ऊपर गालू लूण।
पिव मेरा मैं पिव की रे,
तू पिव कहे सो कोण ।।1।।
थारा शब्द सुहावणा रे,
जो पिव मिला आज।
चांच मंडादू सोवणी रे,
तू ही मेरा शिरताज ।।2।।
प्रीतम ने पाती लिखूं रे,
कागा तू ले जाय।
जाय प्रीतम ने यूं कहिजे,
थारी विहरणी धान नहीं खाय ।।3।।
''मीरां'' दासी व्याकुल है रे,
पिव पिव कह अकुलाय ।
बेगा पधारो अन्तरयामी,
थां बिना रियो नहीं जाय ।।4।।
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