नर थारी मुरजी व्‍हे तो मानजा रे सतगरू समजावे रे nar thari murji ve to manja re satguru samjave re


 

नर थारी मुरजी व्‍हे तो मानजा रे,

सतगरू समजावे रे।।टेर।।

 

नर पर घर को कई बैठणो रे,

थारो मान घटावे रे।

मान घटावे आपणो रे,

बुद्धि हीण कुवावे रे।।1।।

 

नर डोडी बांधे पागड़ी रे,

नर छाया नरखे रे।

नर चार दना को पावणो रे,

नर जातोई रहलो रे।।2।।

 

नर ऊसर खेती नहीं बावणो रे,

नर बीज गमावे रे।

बीज गमावे गांठ को रे,

नर हाथ न आवे रे।।3।।

 

गांव खण्‍डेला पालड़ी रे,

खाती बगसोजीगावे रे।

छोडा पाड़े ज्ञान का रे,

बाणी अणभे भाके रे।।4।।





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