कर अभेमान अठे मत उलजो,
जुग रे चौथा रे वाली बारी है।
कलजुग देख हिम्मत मत हारो,
भगती तो आद अनादि है।।टेर।।
आद अमावस आरम्भ रचिया,
बीज न थावर रूड़ो वारी है।
घरे नागजी के जमो जगायो,
नागणियां तो पूजन आरी है।।1।।
पहरो पलट कंवरजी पधार्या,
कई माजी उनी मुनी धारी है।
कुणी का जाप जपरी सरियादे,
कुण की फेर री माला सारी है।।2।।
हरणाकुस का मैं जाप जप री हूं,
थारी फेर री कंवरा माला सारी है।
कुण दन थारो आवड़ो खुलेला,
माने बता दे सांचो बारी है।।3।।
ऐ कंवरा बीज परभात आव खुलेला,
उठे आवेलो मारो श्याम नजारी।
शुभ अशुभ मोहरत कढा लो,
बीज थावर रूड़ो वारी है।।4।।
खोलता आव सायबो पधारियो,
बच्या रम रिया कंवरा चारी है।
बलता आवड़ा में धोब सलगी,
बरतन रे गिया काचा चारी है।।5।।
सतसर पाती नीचे मेल्या,
गरू तो बण जावो जामण मारी है।
रूपनाथ माने सतगरू मलिया,
हरदम लहर तुम्हारी है।।6।।
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