सिवरूं ला देवी शारदा रे,
गणपत लागू पांय, गजानन्द देवा ।।1।।
मारे सतगुरु आया पांवणा रे,
झरमर बरसे मेहूं ,
हीरा झड़ लागा ।।टेर।।
घोळा गुड़े गुर ज्ञान का रे,
नुगरा न्हाटा जाय,
सूरमा सामां आया ।।2।।
आमां सामां महल माळिया,
बच में कशन वालो घाट,
मालक थारी लेहला ।।3।।
ऊंडा जल की माछली रे,
मुख मांय बालू रेत,
हे माजल आडा ।।4।।
बेटो कालू कीर को रे,
जल में नाकी जाल,
हेेमाचल हाल्या ।।5।।
राणी रूपा की विणती रे,
ढलती माजळ रात,
जमा में हालो ।।6।।
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