:: हट लागी उन्दरी ::
हट लागी उन्दरी रे,
राडे लागी उन्दरी।
हरि द्वारे चाल,
माला फेरा रामा री।।टेर।।
उदरा उन्दरी दड़बे रहता,
हेत प्रीत से भाई।
ठाकुर जी की नोबत बाज्या,
जाता मन्दर माई।।1।।
एक दिनां मन्दर के माई,
हरि से ध्यान लगाई।
लुकती छिपती मन्दर मांये,
बिल्ली मासी आई।।2।।
एक पलक में घटको करगी,
उन्दरजी को भाई।
जान बचाकर भागी उन्दरी,
अपणा दड़बा माई।।3।।
बिलखी बिलखी चाली उन्दरी,
पहुंची दरगा माई।
सहाय करो सांवरिया मारी,
अबला सरणे आई।।4।।
सायब की दरगा में पहुंची,
अबला की करूणाई।
मन्दर को टंकोरो टूट्यो,
बिल्ली गलो कटाई।।5।।
कुतर कुतर ने पेट फाडियो,
उन्दर बारे आई।
सायब की दरगा में लोट्या,
दोनूं धणी लुगाई।।6।।
डेड पाव को छोटो जनावर,
भगती सफल कमाई।
‘पूनमचंद’ तन
सवामणी की,
चाम काम नहीं आई।।7।।
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