हरि तो हरि जनां के बस भाई भजन लिरिक्‍स hari to hari jana ke bas bhai bhajan



शबरी जात भीलणी कहिये,
बोर बिणबा आई।
ऐट्या बोर आरोग्‍या ईश्‍वर,
कर कर मन में बड़ाई ।।1।।

हरि तो हरि जनां के बस भाई,
ऊंच नीच में सामल भेलाे।
लोग करे चतराई ।।टेर।।

शबरी का बोर सुदामा का चांवल,
करमा का खीचड़ खाई।
दुर्योधन का मेवा त्‍याग्‍या,
साग विदुर घर खाई ।।2।।

नीचां कुल रोहिदास जी का कहिये,
मांडू गढ़ के मांई।
निर्मल भक्ति उनकी कहिये,
उल्‍ट गंगा घर आई ।।3।।

बालकनाथ जी जात का सरगरा,
पंचिया गढ़ के माई।
निर्मल होय धण्‍या के आया,
पांडवांं के शंख पुराई ।।4।।

संता के खातर ओतार धार्या,
कुल का काण नाहीं।
सूरदास की आ ही विणती,
आप श्रीमुख गाई ।।5।। 

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