गरूदेव लगाओ पार,
मझधार हमारी नैया ।।टेर।।
गुरू अबगत अलख निरंजन,
गरूदेव सदा दु:ख भंजन।
मैं नमण करूं हर बार,
मझधार हमारी नैया ।।1।।
गरू ब्रह्मा विष्णू महेशा,
गरू सूरज सती गणेशा।
गरू पार ब्रह्म औकार,
मझधार हमारी नैया ।।2।।
भग सागर नीर अथंगा,
जिसे देख भया चित भंगा।
मोह मगर रियो मुुख फाड़,
मझधार हमारी नैया ।।3।।
गरू भंवर भयो इक भारी,
नहीं चले चाकरी मारी।
साथी हो गये छोड़ फरार,
मझधार हमारी नैया ।।4।।
गरू काल घटा मंडराई,
अज्ञान अंधेरी छाई।
तृष्णा पवन बहे इक सार,
मझधार हमारी नैया ।।5।।
साथी कोई रहा नहीं मेरा,
मैने लिया आसरा तेरा।
केवट बण पार उतार,
मझधार हमारी नैया ।।6।।
गरू राम भारती स्वामी,
मारे अबगत अन्तरयामी।
मारी आरत सुणोजी पुकार,
मझधार हमारी नैया ।।7।।
केवे ''कल्याण भारती'' दासा,
स्वामी पूरण करो सब आसा।
मारो जनम मरण दु:ख टार,
मझधार हमारी नैया ।।8।।
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