गरूजी बिना भागे नहीं भरम अंधेरा भजन लिरिक्‍स guru ji bina bhage nahi bharam andhera bhajan



सोला सुन्‍न पर तकिया बराजे,
सेत सुन पर डेरा।
पूरण प्रीती मारो श्‍याम सायबो,
होवे पूरण चोपेरा ।।1।।

गरूजी बिना भागे नहीं भरम अंधेरा,
भोंदू साद पड़े भो माई।
ऐवा फरे बो तेरा ।।टेर।।

इडक मांये मीडक बोले,
गेली कहे घर मेरा।
लाईने मेले अन्‍त फल इण्‍डा,
सीधा नरक बसेरा ।।2।।

भैरू देबी भूूत मनावे,
पूत जिवावे परबारा।
जनम मरण तो उसी के सहारे,
पाप पुन्‍न का निवेड़ा ।।3।।

मन में भ्रम धर्म न सूजे,
फरे चोरासी का फेरा।
जोत जगावे जांको कई फल पावे,
नांद बींद नहीं हेरा ।।4।।

ज्ञानी साधू ढूढया बेमुख,
धणी ने धावे नहीं जेरा।
सांच बना सायबा नहीं मलसी,
मन का कर लो मुकेरा ।।5।।

राम रंग रांचे औरां ने नहीं जांचे,
ऐसा सतगरू मेरा।
कहे ''आशा भारती'' अमर फल पाया,
ऐसा धणी हमारा ।।6।। 

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