गोटमदास घाटा का मीणा,
सतगुरू बात सुधारी।
गोटमजी रमग्या रेण अंधारी,
वा वाह रे घाटा का
मीणा।
घर में भूख करारी,
गोटमजी रम गया रेण अंधारी।।टेर।।
काली कामली मारी रे,
घाली हाथ में भंवर कटारी।
चोरी करबा चाल्या गोटमजी,
आगे रास गेहूं वारी।।1।।
आड़े पाड़े सूता रूखाल्या,
बच मू भर ली गाड़ी।
बळदा ने गाड़ी में जोया,
माथे गांठड़ी न्यारी।।2।।
घर आयने हेलो पाडियो,
खोलो न घर की नारी।
लाया व्हे जो मांये फेकदो,
मारे तेजरा री पाली।।3।।
तस्या मरता गया पराण्डे,
नहीं परेण्डा में पाणी।
ले छुकल्यो पाणी ने निकल्या,
हाथ में जारी न्यारी।।4।।
केवे गोटमजी सुणो भायड़ा,
सुणलो बात हमारी।
जीम चूंट ने भेगा भागल्यो,
भारत हेलो भारी।।5।।
गोटम की दाण राजा इन्दर पधारिया,
बारा तेघ ले लारी।
केवे गोटमजी इन्दर बरसिया,
गाडा की मेट दी गडारी।।6।।
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