गोरख धन्‍धा जोग कमायो वो नाथ जी भजन लिरिक्‍स gorakh dhanda jog kamaya vo dinanath ji



पांचो पांचो भाया की ,

एकन मण्‍डली ओ नाथ जी।

वे तो छटा छटा ,

श्री भगवान वो दीनानाथ ।।1।।


गोरख धन्‍धा जोग कमायो वो नाथ जी ।।टेर।।


दोराणिया जेठाणी ,

ननद भोजाई वो नाथजी।

वो तो चारां को एक ,

भरतार वो दीनानाथ ।।2।।


कुड़ा के किनारे गरू मारा ,

समन्‍द सुखाया वो जी ।

वो तो नाडूल्‍या राे छेय ,

न पार वो दीनानाथ ।।3।।


 सुई का नांका में गरू मारा ,

हस्‍ती समाया वो जी ।

वे तो सुंगल्‍या पोल्‍या में नहीं ,

माया वो दीनानाथ ।।4।।


दोय कर जोड़,

जती गोरख बोल्‍या वो जी।

वे तो सत अमरापुर,

पाया वो दीनानाथ ।।5।।  

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