इनका भेद बता मेरे अवधू,
साबत करणी करता क्यू ।
डाली भूल जगत के मांही,
जहां देखू जहां तू को तू ।।टेर।।
हाथी में हाथी बण बेठो,
कीड़ी में तू छोटो क्यूं।
महावत होकर ऊपर बेठो,
हाकण वालो तू को तू ।।1।।
राजा के संग राजा बण बेठो,
भिखारी के भेलो तू ।
मंगतो बणकर मांगण लागो,
देवण वालो तू को तू ।।2।।
चोरां के संंग चोर बण बेेठो,
बदमाशां के भेलो तू।
चोरी करके भागण लागो,
पकड़ण वालो तू को तू ।।3।।
नर नारी में एक बिराजे,
दो दुनिया में दीखे क्यू।
बालक बणकर रोवण लागो,
राखण वालो तू को तू ।।4।।
जल थल अगन पवन और पाणी,
जहां देखू जहीं तू का तू।
कहत ''कबीर'' सुणो भाई साधू,
गुरू मिल्या है ज्यू का त्यू ।।5।।
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