गोदावरी जगनदास जी री भजन लिरिक्‍स godavari jagandas ji ri bhajan



 :: सती गोदावरी ::


सात बार मैं सती हो गई जी,

अब कलजुग में आई वो।

गोदावरी जगनदास जी री,

माला री मुरजाद सांवरा राख जे रे ।।1।।


मरे फूल ज्‍यांकी रेवे वासना,

अमर हो जावे नाव।

गोदावरी जगनदास जी री,

फूलड़ा तो कमलाग्‍या रेगी वासना रे जी ।।टेर।।


तुलसी चंदन मेल्‍या थाली में,

दौड़ मंदरिये जाय गोदावरी।

देइने परकम्‍मा,

पांवा लाग गी रे।।2।।


थारा पुजारी ने मारा खावत जी,

गणो राखता लाड,

कंवरा दशरथ जी रा,

थारा तो पुजारी सरगा बावड़े रे जी।।3।।


पल्‍लो उगाड़ बाई मूंडो देखियाेे,

डांवी फडूके आंख माता मादाजी रा।

कूंचों तो पकडियो रे,

परणिया श्‍याम को रे जी ।।4।।


सात सहेल्‍या मल कूंचो छूड़ायो,

माधूजी को जीव घबराय।

माता मादा जी रा,

कूंचों तो छूड़ाता हंसलो निकल्‍यो रे जी ।।5।।


माधूदास जी को हंसलो निकल्‍यो,

भजू जी पलो सम्‍भाल।

भजू भाई गेन्‍दा जी रा,

आंसूड़ा रळकावे कायर मोर ज्‍यू रे जी ।।6।।


ले छुकलियो ने पाणी निसरी,

पेली साल में जाय।

गोदावरी जगनदासजी री,

माला री मुरजाद सांवरा राख जे रे जी ।।7।।


हर हर करता पाछी बावड़ी,

लियो सूरज को नाम।

सूरज भल कासब जी रा,

सेसड़ली किरणांं से आजे पावणां रे जी ।।8।।


घेर घुमालो पेरियो घाघरो,

ओठ्यो दखणी रो चीर।

 गोदावरी जगनदासजी री,

अंगिया में पेरी रे कसूमल कांचली रे जी ।।9।।


गहणों गाटो सभी पहरियो,

पहरियो नाक में लूंग।

गोदावरी जगनदासजी री,

बिदली तो रेगी रे मेवाडिया शहर में रे जी ।।10।।


गाठा गेवां का पोवो फाफरा,

हरिया मूंगा की दाल।

माता मादा जी रा,

आखरी बेल्‍यां में भेला जीम ला रे जी ।।11।।


पेली जिमाऊ थारी माय,

पदे लोड़ी ननद को बीर।

माता मादाजी रा,

 आखरी बेल्‍यां में भेला जीम लाे रे जी ।।12।।


चार गांव थने दे दू दान,

मैं बैठी हांसल खाय।

धापू जोधा जी री।

मोज्‍या तो करजे रे सम्‍भलगढ़ शहर में रे जी ।।13।।


सती होवे जल जावसी,

नितो अद बिच पाछी आय।

धापू जोधा जी री।

सांचियोड़ी सतियां के आडा का फरो रे जी ।।14।।


छोटू हीरा बीचमल ने,

सारे घर का आवो।

बीचमल हीरा जी रा,

सब मिल ने उठाओ खावद की पालकी रेे जी ।।15।।

 

केवे सतीमाता साम्‍मलो,

अब मारो यो ही सवाल।

धापू जोधा जी री,

सतिया का बचनाऊ हीजे कोडणी रे जी ।।16।।


केवे सतीमाता साम्‍मलो,

मारे लील कुुुली को दावा।

छीपा ऊंकार जी रा।

सतिया का बचनाऊ रीजे बाजड़ो रे जी।।17।।


दोय जणा मिल निसर्या,

ने सीधा सती कने जाय।

बीचमल हीरा जी रा,

देइने परकम्‍मा पांवा लागग्‍या रे जी ।।18।।


केवे बीचमल साम्‍मलो,

अब मारो यो ही सवाल।

गोदावरी जगनदास जी री,

माने थे भळावो जरणी चाकरी रक जी ।।19।।


थाने बाबा या ही चाकरी,

बाजा बेग मंगाय।

बीचमल हीरा जी रा,

बाजा रा घमसाणाऊ खावत ने दाग दो रे जी ।।20।।


मकराणा को पत्‍थर मंगादू,

ऊपरे छतरी चुणा दूु।

गोदावरी जगनदास जी री,

सोना रे रूपा में जड़ादूं देवरो रे जी ।।21।।


नांगलाव से चाल्‍या सेठ जी,

सीधा सती कने जाय।

सेठमल हीरा जी रा,

लेणो तो चुकादे परण्‍या श्‍याम रो रे जी ।।22।।


देख सती को डोरो तोडियो,

दोनू आंख्‍या फूटी।

सेठमल हीरा जी रा,

आन्‍दो तो कर दियो रे सम्‍भलगढ़ शहर में रे जी ।।23।।


मेड़ता से चाल्‍या सेठजी,

सीधा सती कने आय।

टोडरमल बगता जी रा,

सतियां री झाडियां में साठियाे टूट गियो रे जी ।।24।।


मूं दोडू मारा बेटा दोड़सी,

ठाकरां को लेणाे नहीं उतरे।

गोदावरी जगनदास जी री,

भाक्‍योड़ा बचनां ने भवानी फेर दे रे जी ।।25।।


हर हर करती बैठी रती में,

लियो सूरज को नाव।

सूरजभल कासब जी रा,

सेसड़ली किरणांं से आज्‍यो पावणां रे जी ।।26।।


सेसूं किरणां पड़ी रती में,

मली जाल में जाल।

गोदावरी जगनदास जी री,

माला री मुरजाद सांवरा राख जे रे जी ।।27।।


थू मती जाणे दूर देश है,

गढ़ ब्‍यावर है गांव।

गोदावरी जगनदास जी री,

काकड़ ने सीवाड़ा जरणी एक हे रे जी ।।28।।


राजपाट की कमी नाय मारे,

सभी बात को ठाठ।

गोदावरी जगनदास जी री,

हरदा का ताला तो भवानी खोल दे रे जी ।।29।।


लाखो भांभी कथा बणावे,

 थारो गणो पियास।

गोदावरी जगनदास जी री,

माला तो फेरो रे सालगराम की रे जी ।।30।।


लाखा जी ने परच्‍यो दीदो,

दीदो गोदावरी मात।

माता मादाजी रा।

हरदा का ताला तो भवानी खोलिया रे जी।।31।।




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