गणा दिन व्‍हे गिया थे जाबा दो भीलणी रंगीली भजन gana din ve giya jaba do bhilni rangili



:: शिव पार्वती मोची भीलणी ::

गणा दिन व्‍हे गिया थे जाबा दो,
मत डाटो भरतार।
थाने मारी सोगन,
पीयरये जायाऊ वो दन चार ।।टेर।।

आया गणा दिन व्‍हे गिया,
लेबा न आयो कोय।
जाणे क्‍यू ना उतरे,
या थाका मूंडा की सोय।।

आज्ञा देदो जी,
मैं कहती कहती हार गई जी हार ।।1।

रहवे जतरी रियाजे,
रियाजे दन धाप।
लेबा कोनी आऊला,
कहदूं पेली साफ।।

अतरी कहकर शिवजी,
बैठा समाधि लगार ।।2।।

पार्वती ने देख हेगी,
छोरी छापरिया भेली।
जीजी बाई क्‍यू नहीं आया,
जीजाजी मने मेली ।।

थाने कूंकर स्‍वायो,
सासरिया का कह दो समचार ।।3।।

माके जाण्‍या कीको छाेरिया,
बळ घुसरियो वांके।
पीयरया का नाम पर,
वो नजर भर नहीं जांके।।

कोनी पावस्‍या मैं गणा ही,
आई हूं नोहराखार ।।4।।


ज्‍यादा ही कर लियो नशो,
यो भांग को चढ़ आयो रे।
कैलाशपुरी ने छोड़,
रूप मोची को बणायो रे।।

चाल्‍याे सासरिये ।
हां रे हां चाल्‍यो सासरिये।।

यो हीरा पन्‍ना की जूती ल्‍यायो रे,
चाल्‍यो सासरिये।
बम बम होवे आरती,
डम डम डमरू बाजती ।।

खुस खुस छोरिया खासती,
लुल लुल दुनिया जांकती।।टेर।। यो हीरा पन्‍ना

मोची को अस्‍यो रूप जाण्‍या,
किरण सूरज की एक मेक।
लोग लुगाई छोरा छोरी ,
रिया शकल नक देख।।

मोचीड़ा की मोचडियां ने,
सारो शहर सरायो रे।
मोचीड़ा ने देख,
कोनी मोल करायो रे चाल्‍यो ।।1।।

वा भागी दोड़ी पार्वती,
यूं बोली अपनी मां ने।
पहर सासरे जावस्‍यूं,
दिखास्‍यूं माके वाने।।

बुला ली छारी छापरिया,
वा रथ जुतवायो रे।
रूपया पेसा मोहरा रो,
थेलो मंगवायो रे क चाल्‍यो ।।2।।

कई करू बड़ाई थारी,
कई केऊ रे मोची।
शिवजी कठे लागे,
गोरा मन ही मन में सोची ।।

केबा की तो कोयने,
थारो रूप मन में भायो रे।
किंया थू मोची के घर में,
जनम पायो रे क चाल्‍यो।।3।।

हीरा पन्‍ना जवारात की,
जूती मारे जचगी।
पहरूली रे पहरूली,
या मनमें मारे बसगी।।

मांगे जोई दूली रे,
मोची मोल बता मन चायो रे।
मैं राजा की बेटी,
थने यूं कुण बहकायो रे क चाल्‍यो।।4।।

जूती वो ही पहरसी,
जो मने रोटी देसी सेक।
मत हिजे नाराज,
थने मू कहदू पेली देख।।

मोचडियां का साटा में,
लुगाई लेबा आयो रे।
''भगवान सहाय'' कहे,
अजी यो भजन बणायो रे क चाल्‍यो।।5।।


पहरादे रे मोची मोचडियां,
मैं लार चालस्‍यू थारे।
लार चालस्‍यू थारे रे,
मैं साथ चालस्‍यू थारे ।।टेर।।

मोचडियां ने लेकर,
थारे भागबा की राय।
मैं हूं बूढ़ो मोची,
मासे भाग्‍यो कोनी जाय।।

थारा मन की बात ने,
मैं जाण गियो ये प्‍यारी ।।1।।

चन्‍दा जैसो चहरो थारो,
रूप गणोई चोखो।
पीयर सासरो छोड़ दियो,
अब ईमें कांको धाेको ।।

समझाया कोनी मानी,
चाली सखी सहेलिया सारी ।।2।।

मीठी मीठी बातां करती,
गया शहर के बाहर।
वो रूप छोड़ दियो मोची को,
न असली रूप लीदो धार।।

मत पार्वती की फरगी रे,
मोडिया खूब करी रे थारी।।3।।

मारे काबल कोनी अब थू,
जा मोच्‍यां की साथ।
परीक्षा अजमा र देख ली,
लुगाई की जात।।

मैं आंख्‍या लीनी देख,
आज तिरिया की लीला न्‍यारी।।4।।

म्‍याऊ सो मूंडो कर बैठी,
पार्वती चुपचाप।
इतनी कहकर शंकर,
अन्‍तरध्‍यान हो गये आप।।

''भगवान सहाय'' केवे,
पार्वती के लागी चोट करारी।।5।।


शिवजी को मनड़ो मोयो रे,
भीलणी रंगीली।
भीलणी रंगीली वा तो,
कैसी छेल छबीली ।।टेर।।

मूंडो थारो अस्‍यो,
जाण्‍या पून्‍यू को सो चांद।
पण फूंदा फड़का,
घाघरा के कतरा लाई बांध।।

थू करड़ी करड़ी जांके ये,
ऐसी कई हठीली।।1।।

कैलाशपुरी ले चालूं थने मू,
चाल मारी साथ।
बैठी मोज्‍यां माण भीलणी,
मैं त्रिलोकी नाथ ।।

थारी लारां लारां चालू ऐ,
मारी नस नस हाेगी ढीली ।।2।।

 चून्‍दड़ी का तारा को,
छा रियो केसो जोश।
शान देख ने पागल हेग्‍यो,
बोलण को नहीं होश।।

थारे बीमारी कई हो गई ये,
आंख्‍या पड़ रही पीली।।3।।

राजी राजी बोले भीलणी,
मत ना राखे ऐंठ।
''भगवान सहाय'' केवे शिवजी बोल्‍या,
नन्‍द्या ऊपर बैठ।।

रात भर सारंगी बजाऊ ऐ,
हो गई आंगली लीली ।।4।।


ले चालूं मारी लार,
चालां आपां दोनू जणा।
दोनो जणा रे आपी दोनू जणा ।।टेर।।

थाने राखस्‍यू भीलणी जी,
पार्वती ने छोड़।
शंकर भोलानाथ लगाली,
भीलणी से होड़।।

थू नार मैं थारो मोटियार,
चालां आपां दोनू जणा।।1।।

जटा ने परी पाड़ो,
नितर करलू ली मैं राड़।
भचड़ भचड़ ने पकड़ पकड़ ने,
सारी लीनी पाड़।।

हियो गंगा सो पण्‍डो त्‍यार,
चालां आपां दोनू जणा।।2।।

जल्‍दी करले भीलणी जी,
बैठ बेल के माले।
नन्‍द्या ऊपर पाप लागे,
खान्‍धा पर बिठाले।।

मत गेला में दीजे रे ऊतार,
चालां आपां दोनू जणा।।3।।

सारंगी बजातो जावे,
करतो जावे लटका।
सुण सुण हांसी आवे,
अस्‍या ''भगवान सहाय'' का खटका।।

निकल जाय आर को पार,
चालां आपां दोनू जणा।।4।।


मारो बालम भोलोनाथ,
भीलणी ने हेर रियो।
हेर रियो रे वो तो ढुंढ रियो।।टेर।।

मत कीजे आपणी बात,
थारा से मैं तो हार गियो।
मारो माथो लोडी की जात,
सफा सट करा लियो।।1।।

थे भी जावो भीलणिया की लार,
मानूला कोनी थारो कियो।
थारो चिमटो उठा ले तूम्‍बी हाथ,
उतार मारो माजनो लियो।।2।।

या तो देवां में चाली रे बात,
देवां में रोलो खुसी का हियो।
''भगवान सहाय'' दिन रात,
भजन गावे नयो नयो।।3।।





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