सतगुरु बाड़ी भम्बेख री बाई,
गोडी ज्ञान ध्यान धरणी ज्यूं,
इयूं निज नेपे आई।।टेर।।
निजमन माली सुर्ता मालण,
मिलकर बाड़ी बाई।
धोरा तीन बौहतर क्यारी,
सोहं बीज बिजाई।।1।।
नाभ कंवल बिच अर्ट मांडियो,
सन्मुख बैल चलाई।
सेन्स इकीस बन्धी घड़ माला,
गगन मण्डल में पाई।।2।।
ओम बीज अनन्त अंकुरा,
पान प्रेम गहराई।
धुर लग पेड़ पिछम लग डाला,
दशवें फल फूल छाई।।3।।
इण बाड़ी में रतन नीपजे,
हीरां री हाट भराई।
कह ''लिखमो'' निज नेपे आई,
माली कमी न राखी कांई।।4।।
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