संता प्रेम घटा झुक आई santa prem ghta jhuk aayi bhajan lyrics


 

   संता प्रेम घटा झुक आई, सत् शब्दा झड़लाई।।टेर।।


गीगन धुरत है अमी जड़त है, 

चमकत बीज सवाई।

मन पवना मिल धोरा बान्ध्या, 

भर रही सुखमण तलाई।।१।।


मन कर्सो कर्सण लगा, 

ध्यान धर्या धुन मांही।

कूड़ सूड़ काट किर्यो काने,

सील री बाड़ी बनाई।।२।।


हितकर हलोयो हाल हरदम री, 

ज्ञान गांगड़ो लाई।

चित कीतऊ कुस कर्णी री 

अकल ओरड़ी पंजाई।।३।।


धर्म भजन वो धोरी जूता, 

हेत खेत रे मांही।

गुरु गम शब्द बीज कर ऊरे, 

ऊरे बंकड़ी नांही।।४।।


कर्म निनाण कही कैसे निकले,

भर्म भरभूंट भिड़ियो है मांही।

समज शब्द मिल साध निकाले, 

पानच मजूर लगाई।।५।।


पाका फूट त्रिकूटो रे धोरे,‌‌ ‌‌

सुर्त रलवारण आई।

कुबध चिड़कली तांड़ उड़ाई, 

गुरुगम टाट बजाई।।६।।


बाया खेत हेत कर निपज्या, 

जद खेती रस आई।

लिखमा लाभ कमाई में लाघ्यो, 

प्रालब्ध री पाई।।७।।  

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