हंसला चेतन चलो मेरा भाई,
चेतन चाल्या पार लगोला, भवसागर के मांही।।टेर।।
काया नगर रा केवड़ा,
झुक झुक झोला खाई।
एक दिन ऐसो आवसी
थने बांह पकड़ ले जाई।।१।।
बाड़ी थारी खूब बणी है,
राम सिमर मेरा भाई।
एक दिन बाड़ी थारी लुटसी,
पाव पलक रे मांही।।२।।
उमर तो थारी ओछी लिखायो,
कूड़ा न बोल मेरा भाई ।
एक दिन जमड़ा आवसी,
थने मार गुर्ज ले जाई।।३।।
ओ सांसो सबकू व्यापे
सतगुरु मिलिया जांही।
गुरु शरणे माली लिखमी बोले,
चौरासी टल जाई।।४।।
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