रे गाफल क्या जाग्या क्या सोया,
जाग्या सो नर हरि भक्त भजन में,
नाम निघे कर जोहया ।। टेर।।
रेन सोय सपना में भटके
दिन दोजक में खोया ।
हायपच हायपच कर्तो रहियो,
हीरा सो जन्म बिगोया ।।१।।
आपे चढ़ चढ़ करे करड़ा़ई,
मैं में बढ़कर होया ।
ए सब सूत नार्की के लक्षण,
कीया ज्यांही जोया ।।२।।
जाग्या सो नर जोग जुगत सूं,
रहता सूंं इत् होया ।
मिट गई त्रास तपत सो तन की,
चौथे पद चित गोया।।३।।
शब्द विचार जिका नर जाग्या
दीपक ज्ञान संजोया ।
समझ शब्द मिल ब्रहम विचार्या
आप आप में जोया ।।४।।
रहता पुरूष रहे सब व्यापक,
निर्खत निर्भय होया ।
लिखमा अलख अरूप अगम है,
जाण्या जैसा जोया ।।५।।
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