बापजी निजरे दुष्‍ट से टाल baap ji nijre dusht se taal araj kara aao aarodhe


बापजी निजरे दुष्‍ट से टाल, 

अर्ज करां आवो आरोधे, 

आपरो विरद् सम्‍भाल ।।टेर।।



 गवरी का नन्‍दन खोल बंधन, 
कटे हृदय का जाल । 
हर हर वाणी हृदय जाणी, 
कटे कर्म का जाल ।।१।।

भैरू नाथ भली कर बाबा, 
काशी रा कोतवाल ।
कक नदी गरकी नाश, 
गुर्ज ले बन्‍धो गुवड़ धाल ।।२।।
   
शक्ति सांशो मेट सन्‍त रो, 
बड़ा़ बड़ी कंकाल ।
हो हिंगलाज हटक उसर ने 
गत री बंधो पाल ।।३।।

हनुमान अंजनी का पूता, 
महाबली महाराज ।
गढ़ लंका पर बीड़ो फेर्यो, 
कर लंगड़ा ललकार ।।४।।

रामा धणी मेट द्यो धोखो, 
जीव परयो जंजाल।
देकर प्रकाश पास उसराने, 
संंत सामो निहाल ।।५।।

   
बेद बार करो गुसांई, 
तनको लावो ताल ।
लाजे पंच सन्‍त दुख पावे, 
किज्‍यो श्‍याम संभाल ।।६।।

रूधाने तारादे तारी, 
सुरेरी लिवि संभाल ।
हरिश्‍चंद माले पची पाया, 
जद निब्‍या भोपाल ।।७।।

कलजुग करणी जोयमत 
दाता भेख टेक पंख पाल।
सांवल सुणो कावल टालो 
संत भूमिया चाल ।।८।।

सांचा संत पंथ में पूगा 
सांची राखो सार ।
कहे लिखमी सन्‍ताना पर्दा 
राख राम रिजपाल ।।९।।

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