ऐसा दिया गुरू शब्‍द अवसाण aisa diya guru shabd avsaan bhajan


 ऐसा दिया गुरू शब्‍द अवसाण, 
जाको जोग जूगत कह जाण ।।टेर।।


गुरू अवसाण ऐसे प्राणी तारे, 

समझत सन्‍त सुजाण ।।१।।


ऋषि मुनि सिद्धी साधक, 

गुर शब्‍दाे परस्‍या पदनिर्वाण ।।२।।


गुरू अवसाण जन कोई जोवे,

उधड़े हर हीरा को खाण ।।३।।


गुरू का शब्‍द भेद जब भागा,

भर्म मिट जायसी भवसाण ।।४।।


गुरू का शब्‍द पीवे मन पर्चा,

पर्चा सूं पिव पछाण ।।५।।


गुरू अवसाण लखे कोई लिखमा, 

जिनका मिट जावे आवा गवाण ।।६।। 

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