भज खाम्भीड़ा भाई,थोड़ा आगा लेरे भाई,
थोड़ा पाछा लेरे भाई।
थारा बैल पंजाली मांही,
हमादरियावां लेर सवाई।।टेर।।
राम नाम का कुआं खुदाया,
चेजा को बुलवाई।
इण चेजा की खरी कमाई,
पदम नौकरी पाई।।1।।
भाव भर्म रो भूण चढ़ायो,
कर्मा री कड़ रोपाई।
चित की चरस बांधले,
लिव की लाव लगाई।।2।।
गांव बोलाई हेलो मारयो,
सुण पटवारी भाई।
लेय तराजू तोलण लाग्यो,
धड़यो धड़यो खलकाई।।3।।
इण बाड़ी में हीरा नीपजे,
मोतियां साख सवाई।
गुरु खिंवजी ''लिखमो'' बोले,
परालब्ध री पाई।।4।।
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