बेजो नांव रो कोई बणसी राख विवेक,
निर्गुण गांव रो।।टेर।।
नला भरी जे नामरा,
तंत तार मत तोड़।
अकल अरीटयो फेरले,
टूटे फेर ज्यूं जोड़।।1।।
गुरु शब्दांं तांणो तणियो,
हालो होय ले हुसियार।
तार हजार इकीस छिव से,
तार तार करतार।।2।।
प्रेम प्राण सूं पायले,
पांचु पुरुष मिलाय।
कर तन मन ताकीद सूं,
शब्द संवारे बाय।।3।।
तुर्गुण तुर्पर चोढले,
क्षमा खुंटले बांध।
कर सांतर सत सूत ने,
टूटे ज्यूं दे सांध।।4।।
हरदम हरख कर पावड़ी,
प्रीति पिणछ पर गाढ़।
सुर्त निर्त दोय डोरड़ी,
चेतन चक्री चाढ़।।5।।
समझ साल में बैठ ले,
नली नाम री बाय।
राम राम रसके भणो,
हाथे हेत लगाय।।6।।
कुल रूईरी एक है,
मेहनत मांही मदार।
भील माल सारू मिले,
कीमत ज्यूं करतार।।7।।
ब्रह्म बेज बिरला बणे,
लाखी मंजो कोय।
कह ''लिखमो''लावो भलो कोई,
भणसी हरिजन होय।।8।।
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