एलम हरि रे नाम रो,
सतगुरु दिया बताय ।।टेर।।
और एलम सत् शब्द है,
सतगुरु दिया सिखलाय।
पतवाणा प्रतीत सूं,
एलम भेट्या घट मांय।।1।।
भरम भूतसा काढिया,
लग रह्या तन के माय।
उपज्यो विचार एलम ते,
तब भरम सभी भग जाय।।2।।
दुबद्या डाकण देह की,
खबर बेहुणो खाय।
इकतारी निज मंत्र से,
दुविधा जाय बिलाय।।3।।
सांसे सर्प की झाट से,
शोक जहर चढ़ जाय।
मिले ज्ञान पुरुष गारडु
सांसा जाय बिलाय।।4।।
ब्रह्म वेद से मिल रहे,
कर्म राेेग कट जाय।
''लिखमो'' एलम अलेखदा,
सहजा होत सहाय।।5।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें