अमल एक राम नाम का रिजे amal ek Ram naam ka rije jyaa su levat magan



अमल एक राम नाम का रिजे,
ज्‍यां सूं लेवत मगन रहिजे।।टेर।।


राम अमल एक गुरु बताया,
सन्‍त सोबत सूं सीखिजे।
डोढा दूणा करी चोगणा,
लीया है तो फेरूं लहजे।।1।।

याद अमल रहे आठो पहरां,
अमली एम कहिजे।
रूम रूम बिच रहे खुमारी,
उन मुनी झेरां जीले।।2।।

पिड सूं लागी पर्तन डूटे,
नित सवाया लीजे।
राम अमल सूं रहे रातो,
और अमल क्‍या कीजे।।3।।

ऐसा अमल करे सन्‍त सूरा,
पोता जल कहिजे।
''लिखमा'' लियासो फेर लेसी,
कर्मा जड़ कदां पतिजे।।4।।

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