राम नाम रंग लागा मारा भाग आगला जागा है Ram naam rang laga mara bhag aagla jaga


 

राम नाम रंग लागा

मारा भाग आगला जागा है

चरणा में आपके शीश नवाया

देखीया देश गुंरा का है ओ जी ॥1॥

 

चार जुगा से जागा प्राणी

सतसंग में रंग लागा है।

सतगुरु मीलया शब्द सुणाया

जम पसारा सब चाका है ओ जी ॥2॥

 

जगत शब्द सुणावे कुड़ा

ज्या से मन मेरा भागा है।

संत समागम शीतल छाया

वामे बैठवा लागा है ओ जी ॥3॥

 

कुड़ा कपटी लापर लोबी

गुड़ के मकोड़ा लागा है।

नुगरा ने मलिया काचा हंस

केउं कन कागा है ओ जी ॥4॥

 

साचा जके जुगाई जुग साचा

शीवरण करिया साचा है।

मुआ जाल मेटियों आपो

फैर नहीं आबा का है ओ जी ॥5

 

ऐ अवसर फैर नहीं आवे

शीवरण करना साचा है।

शंकर नाथ गुराजी के शरणे

माने आपकी आशा है ओ जी ॥6

 

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