मनख जन्म का दो दिन रहग्या
आखीर चौरासी में जावे ओ
मन गुरु सरण में आये ।टेर।
लख चौरासी में भटकत भटकत
सन्ता सरणें आवे
भली करी मारा सतगुरु दाता
अमर पट्टो फरमावे ।1।
बगला के जोड़े हंसों बेठो
बगला में बगलो कुवावे
नाडुलियों में मछीया चुगता
खूब माने मातो चुगावे।2।
पारस के संग लोहा अड़ीया
लोहा ने पारस बणाये
जम राय का रंग महल में
ओ मन अबे नहीं जावे ।3।
शंकरनाथ मिल्या गुरु पुरा
भुल्या ने रााह बतावे ।
लाडुनाथ समज कर परख्या
हेर हीरा घरे लावे ।4।
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