तीन तरह का लोग होवे
दुनियां में॥टेर॥
पहला कहिये गुलाब जैसा,
केवल फूल ही आय॥1॥
दूसरा होवे आम सरीखा,
फूले फले भरपूर॥2॥
तीसरा होवे कटहल जैसा,
केवल फल ही आय॥3॥
पहलो कहवे करे नहीं है,
दूजो कहवे करे सब काम॥4॥
तीजो केवल काम ही करसी,
मुख से करे न बकवाज॥5॥
रामचंद्र यूं कहे रावण से,
भैरूलाल चित धार॥6॥
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