अर्ज करे थाने एक गौ माता दया करो मारा निकलंक दाता araj kare thane ek gomata dya karo mara bhajan lyrics

 

दया करो मारा निकलंक दाता,

अर्ज करे थाने एक गौ माता।

गऊ माता की विनती सुणाऊ,

परमेश्‍वर का ध्‍यान लगाऊ॥टेर॥

 

सरस्‍वती मात शारदा ने धाऊ,

भूल्‍या अक्षर कण्‍ठ दिरावो।

गवरी का पुत्र गणेश ने मनाऊ,

रिद्धि सिद्धि संग में आप पधारो॥1॥

 

सुरभि गाय की बात बताऊ,

सब संता ने शीश नमाऊ।

एक बार गऊ स्‍वर्ग लोक चाली,

स्‍वर्ग में जाकर रोवण लागी॥2॥

 

सभी देवता स्‍वर्ग में बराज्‍या,

इन्‍द्र देवता सभा में पधार्या।

इन्‍द्र सभा में सुरभि रोवे,

इन्‍द्र देव को मुखड़ो जाेवे॥3॥

 

देवता के मन में करूणा उठी,

गोमाता ने आज कुण कुटी।

इन्‍द्र कहे सुणो गऊ माता,

सब समाचार कहो सुखसाता॥4॥

 

देव लोक की कहवो सुखसाता,

मृत्‍यु लोक की सुणावो ने बातां।

बिना कारण थे रोवो नाही,

मारा मन में दया गणी आई॥5॥

 

कुशल समाचार कहे गौमाता,

सभी लोक में है सुखसाता।

मारा बेटा का दु:ख से रोई,

मारी अर्ज सुणो अब कोई॥6॥

 

धन बळदा की मैं हूं माता,

मने कहवे सुरे गोमाता।

एक करसाण मारा बेटा ने कूटे,

मारी आंख्‍या से धार वा छूटे॥7॥

 

डूबला बळद में शरदा नाहीं,

पराणी की मार सही नहीं जाई।

बार-बार बोफा पराणी चलावे,

मारी आंख्‍याऊ अब देख्‍यो नहीं जावे॥8॥

 

हल मांयने जोत न हाको मचावे,

डूबला बळद से चल्‍यो नहीं जावे।

उठतो बैठतो पग ने थागे,

माथा ऊपरे ढकलियो फांके॥9॥

 

दु:ख और दरद सहियो नहीं जावे,

उण रागस ने कुण समझावे।

बियामी लेबा ने बळद बैठ जावे,

पाछू भाटा की भरणाट आवे॥10॥

 

याही देख मारो मन दु:ख पावे,

मारा मन को दु:ख कौण मिटावे।

दो बळदा मूं एक है तगड़ो,

डूबला बळद को मारे जीव में है रगड़ो॥11॥

 

एक बळद तो हल खेंच लेवे,

दूजो बळद अब कीने जान कहवे।

डूबलो बळद तो अतरो बोदो,

कोई न करे अबे वांकाऊ सौदो॥12॥

 

डूबला बळद की कई मैं बताऊ,

दूरा से नस नाडिया गणाऊ।

बड़ा ही दु:ख से हल में बहवे,

कुणी सुणे किने जार कहवे॥13॥

 

कूट-कूट कर पीड़ा गणी देवे,

भेबा शक्ति वां मे नहीं रहवे।

इस दु:ख से मैं जुर जुर रोई,

अब तो सहाय करो न मारी कोई॥14॥

 

इन्‍दर ने कहवे सुरे गौमाता,

थाकी शरण में आई अन्‍दाता।

सुरे गाय ने इन्‍दर यूं कह रिया,

हजारों बेटा थारा दु:खी व्‍हे ने रे रिया॥15॥

 

एक ही बेटा रे दु:ख रोवती आई,

या बात मांके समझ में नहीं आई।

अतरी करूणा थू दिल माई लाई,

माका भी मन में धूजणी आई॥16॥

 

कतराई बळद महादु:ख पावे,

कतराई भूखा तस्‍या मर जावे।

कई कई रात दिन भार उठावे,

टेम-टेम पर पाणी नहीं पावे॥17॥

 

थाक्‍योड़ा के आर लगावे,

आधी रात का जुड़ी में लगावे।

दन का थाक्‍योड़ा विसराम चावे,

कहबो चावे पण कह नहीं पावे॥18॥

 

हल चड़स ओरी गाड़ी में जोवे,

भूखा मरता की आत्‍मा रोवे।

बूढ़ो बळद जद ठाम पड़ जावे,

पाणी लूणी वाने कुण जान पावे॥19॥

 

एक पाड़ाऊ पडियो धणी ने टेरे,

दूजो पहाड़ो वाको कोई नहीं फेरे।

टांक्‍या पड़े जदी कागला खावे,

हाथ पगाऊ पडियो पाछड़ा खावे॥20॥

 

सरदा नहीं जो अबे कागला उड़ावे,

कुत्‍ता की मौत भलाई मर जावे।

सुरे गाय कहवे ओरी मत कहवो,

इन्‍दर देव अब मारी सुण लेवो॥21॥

 

गऊ जाया की माता कहाऊ,

कणी बेटा में मूं फरक नहीं लाऊ।

सब ही ने मारा जीव ज्‍यूं रखाऊ,

झूठ बोलू तो मूं नरक में जाऊ॥22॥

 

ब्रह्माजी जद सृष्टि रचाई,

गौ जाया की मने माता बणाई।

मारा मन में आ कई आई,

मैं भी गण गई बळदा की बाई॥23॥

 

जब से ही मारा यह सब ही बेटा,

न कोई छोटा न कोई मोटा।

भूखा तस्‍या कोई बेटा ने जोऊ,

दीन दु:खी देख गणी मैं रोऊ॥24॥

 

जो कोई गऊ जाया ने सतावे,

अन्‍न धन से वो गणो दु:ख पावे।

टक लावे और टक ही खावे,

अन्‍त समय में नरक में जावे॥25॥

 

गऊ जाया की कोई बन्‍दगी उठावे,

अन्‍न धन लछमी से बहुत सुख पावे।

सांवरियो वांके भेलो आवे,

गरस्‍ती की गाड़ी ने पार लगावे॥26॥

 

सुरे गाय की सुणी इन्‍दर बातां,

तब से बेटा वांके गणा मन भाता।

बेटा ने जाणे अब इन्‍दर ऐसे,

सांप माये मोहरो रहवे जैसे॥27॥

 

सुरभि की बात अब मन में धारी,

गौ जाया की बात बिचारी।

सुरे गाय थने जाऊ बलिहारी,

बेटा ऊपर करूणा लाई भारी॥28॥

 

इन्‍दर देव अब मन में धारी,

बारा ही मेघा ने कीदा त्‍यारी।

गऊ का लेखा को बरसो ने भारी,

बारा ही मेघा ने या आज्ञा धारी॥29॥

 

करसो हल ने हांकतो जावे,

पड़ता बळद के आर लगावे।

धराऊ दशा ने थोड़ो बादल आवे,

अतराक ढीमाऊ कई तलाव भरावे॥30॥

 

करसो हल ने हांकतो ही रहवे,

भरखा पाणी की कुण वाने कहवे।

थोड़ो थोड़ो बादलो गहरो गहरो छायो,

एक आदो छांटो वांका माथा ऊपर आयो॥31॥

 

काली काली बादली अब गाल्‍यो गेरो,

अंधारी रात ज्‍यूं छायो अंधियारो।

गड़ड़ गड़ड़ अबे इन्‍दर गाजे,

जैसे नगारा और नौबता बाजे॥32॥

 

हल करती बीजल चमके,

नई बिंदणी जाणे महलां में दमके।

घरर घरर बरसण लागो,

हल ने छोड़ करसो ओडी माये भागो॥33॥

 

करसा का काम में पड़ गई बाधा,

तलाव नालाा अब भरग्‍या आधा।

कालो बादलो फेर और गरज्‍यो,

नाडा खाडा के साथे तालाब भी भरग्‍यो॥34॥

 

धराऊ दशा सूं थोड़ी बायरी चाली,

ओडी की एक थोगली हाली।

थोड़ाक जोर को भायरो हाल्‍यो,

आकी ओडी ने लेकर चाल्‍यो॥35॥

 

करसो करसाण अब भीगण लागा,

छोरा छोरी भी धूजबा लागा॥36॥

 

चारों मेर दीखे पाणी ही पाणी,

करसो असी तो मन में न जाणी

कठे तो हल रियो कठे रही पराणी,

हल जूड़ा जावे बहते पाणी॥37॥

 

गऊ का भाग को अब बरसण लाग्‍यो,

गणा दनाऊ मारो सायबो जाग्‍यो।

बळदां ने लेर करसो घरा सामी भाग्‍यो,

गेला का भाहला खाहला ने लांग्यो॥38॥

 

बळदा ने बांध अबे गांव माये हाल्‍यो,

पछेवड़ो लेय ने खांखलो लेबा चाल्‍यो।

करसा के कहता पेली सेठजी भी चाल्‍यो,

चावे जतरो वांने खांखलो तोल्यो॥39॥

 

नेन्‍यो कियो काकसा अतरो का दीदो,

पेली का पइसा को कई न कीदो।

लेजा-लेजा ने यो खातो रियो सीदो।

मूल ने राख्‍यो तो ब्‍याज काने दीदो॥40॥

 

सेठजी कहवे नेन्‍या भोलो ही ढालो,

थोड़ा क इका बाप दादा सामी नालो

संवत हेग्‍या अब रियो नहीं कालो,

पाणी से भर गियो नन्‍दी और नालो॥41॥

 

ईका बाप को नाम हो ऊंकारो,

वे भी गणां राख्‍यो साहूकारो।

बाप की चाल ज्‍यू ओ भी चाल्‍यो,

खत माही लिख दे ईको नाम बाल्‍यो॥42॥

 

नोहरे आय बळदा ने खांखलो नाक्‍यो,

बळदा का हा में हा अबे आग्‍यो।

करसा अन्‍दाता को भाग अबे जाग्‍यो,

काल को भायरो तो कोसा दूर भाग्यो॥43॥

 

दुरबल बैल पर दु:ख हो भारी,

सुरे गाय भी मन में बिचारी।

इन्‍द्रदेव पे अरज गुजारी,

इन्‍दर राजा भी बरस्‍यो भारी॥44॥

 

बेटा की भार पे इन्‍दर ने धाया,

इन्‍दर देवता बरसण आया।

दु:खी बळद का फन्‍द छुड़ाया,

सुरे गाय का मन हरसाया॥45॥

 

या कथा महाभारत में आई,

धृतराष्‍ट्र ने वेदव्‍यास सुणाई।

थाका सब ही बेटा ने भाई,

एक समान देखो न अन्‍धराई॥46॥

 

शास्‍त्र परवाणी सब चालो भाई,

जा‍की नैया हरि पार लगाई।

भैरूलाल कथा कह सुणाई,

हरि गुरू ने शीश नमाई॥47॥

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