आई मुसीबत लार कर लो समझौता aai musibat laar kar lo samjhota bhajan lyrics

 

आई मुसीबत लार,

कर लो समझौता।

झूठा है सब ही प्‍यार,

विपत में क्‍यू रोता।।टेर।।

 

बड़ला का एक रूखड़ा,

जंगल में था भारी।

जड़ में र‍हता उन्‍दरा,

बिल्‍ली रहती डाली।

बन में रहे शिकारी तैयार।।1।।

 

जाल डालता शाम को,

सुबह आर ले जाय।

जो भी जन्‍तु आवता,

वाने पकड़ खा जाय।

बिल्‍ली फंसी मझधार।।2।।

 

चूहे को मालूम पड़ा,

निकला बिल से बाहर।

मांस जाल पर देखकर,

करने लगा अहार।

अब चूहे पर आफत तैयार।।3।।

 

नोल्‍या आया एक वहां,

बण चूहे का काल।

उल्‍लू बेठा घात में,

बरगद ऊपर नाल।

मोत खड़ी पास में आर।।4।।

 

भाग जाऊ बिल में तो,

नोल्‍या पकड़ खा जाय।

यहां पर ही बैठा रहूं तो,

उल्‍लू पकड़ ले जाय।

जाल में घुसू तो बिल्‍ली त्‍यार।।5।।

 

तीन तीन दुश्‍मन खड़े,

कोई न देता साथ।

बिल्‍ली फंस गई जाल में,

इनसे कर लू बात।

आफत में छोड़ देवो तकरार।।6।।

 

चूहा कहवे बिल्‍ली से,

जो थू चाहे प्राण।

छोड़ दुश्‍मनी भावना,

कहना मेरा मान।

थू मने मत ना मार।।7।।

 

एक मुसीबत दोनों की,

मेरी माने बात।

जाल तेरा मैं काट दूं,

फिर मेरा देना साथ।

ले लो दोस्‍ती धार।।8।।

 

बिल्‍ली बोली पेम से,

सुण ले चूहा भाई।

सुबह शिकारी आयेगा,

आफत आई भारी।

थू केवे जीमे त्‍यार।।9।।

 

नोल्‍या से डर लाग रियो,

घुसु जाल के माय।

मुझको खा जायेगी तो,

तुझको कौन छुडाय।

थारी मौत लार की लार।।10।।

 

बिल्‍ली कहे सुण उन्‍दरा,

आजा मेरे पास।

तुझको नहीं खाउंगी,

कर मेरा विश्‍वास।

थू मुझे बचावनहार।।11।।

 

चूहा घुसग्‍या जाल में,

बिल्‍ली रखे छूपाय।

चूहा बिल्‍ली की दोस्‍ती,

आफत मे हो जाय।

हुवा यह कैसा व्‍यवहार।।12।।

 

देख दोस्‍ती दोनों,

नोल्‍या उल्‍लू उदास।

अब यहां से चलते बणो,

रही नहीं कोई आस।

दोनों गये आपणे द्वार।।13।।

 

अब बिल्‍ली कहने लगी,

थू जाल काट दे मेरा।

नोल्‍या उल्‍लू भग गये,

काम होग्‍या तेरा।

अब जल्‍दी जाल ने काट।।14।।

 

जल्‍दी जाल ने काट दूं तो,

बिल्‍ली मुझे खा जाय।

बन्‍धन तब ही ताडूंगा,

जब शिकारी आ जाय।

धीरे धीरे काट रियो तार।।15।।

 

दगा मत कर उन्‍दरा,

यूं बिल्‍ली बोली म्‍याऊ।

नहीं काटता जाल को तो,

मैं तुझको खाऊं।

अब होने वाला परभात।।16।।

 

नहीं किसी का दोस्‍त है और,

नहीं किसी का दुश्‍मन।

काम पूरा हो गया तो,

कोई न बूझे हरजन।

यू राखो अधूरे काम।।17।।

 

जब शिकारी आ जायेगा,

तू डर के भग जाय।

मैं भी बिल में जा छिपूं,

फिर तू मुझे नहीं खाय।

दोनों एक साथ बच जाय।।18।।

 

शिकारी आता देखकर,

दिया जाल को काट।

चूहा कहे बिल्‍ली सुणो,

चढ़ बड़ला पर नाट।

जा बेठी बड़ला की डाल।।19।।

 

सुबह शिकारी आ गया,

लेय गडकड़ा साथ।

 टूटा जाल ले गिया,

कुछ नहीं लागा हाथ।

फस्‍योड़ो छूट्यो शिकार।।20।।

 

बिल्‍ली कहे चूहा सुणो,

अपन दोनों दोस्‍त।

आजा मेरे पास में,

बात करस्‍या बोत।

अब दोनों में होवे प्‍यार।।21।।

 

समय समय की दोस्‍ती,

सब मतलब का यार।

गरज मिट्या बाद में,

नहीं किसी से प्‍यार।

कहे भैरूलाल विचार।।22।।

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