दोहा:: सतगुरू दीवो नाम रो, तो क्या जाणे संसार।
धिरत सिंचावो प्रेम रो, तो उतरो भवजल पार।।
ओ जी म्हाने कर मनवार पिलायो जी,
सतगुरुसा म्हाने प्रेम प्यालो पायो जी,
धिनगुरू म्हाने हरि रस पायो जी ।।टेर।।
असंग जुगा री म्हारी नींद उड़ाई जी,
म्हाने सुतोड़ा ने आण जगायो जी,
सतगुरुसा म्हाने ...।।1।।
कुटम्ब कबीलो म्हारो सब जग झूठो,
म्हाने सतगुरु सही समझायो जी,
सतगुरुसा म्हाने ...।।2।।
आऊं नही जाऊ मरु नही जन्मु जी,
म्हाने अमरापुर रो मारगीयों बतायो जी,
सतगुरुसा म्हाने ...।।3।।
अड़सठ तीर्थ सतगुरु शरणे जी,
म्हाने गीता जी रो ज्ञान सुनायो जी,
सतगुरुसा म्हाने ...।।4।।
देव नाथ गुरु पूरा मिलिया जी,
ओ तो राजा मान जस गायो जी,
सतगुरुसा म्हाने ...।।5।।
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