सैया आनन्द पायो ये ।
सिर पर हाथ धर्यो गुरूदाता,
शब्द सुणाया ये ।।टेर।।
आज सखी री आंख फडूकी,
काग उड़ाया ये ।
गुरू मिलन की अजब उमेदी,
दरसण पाया ये ।।1।।
कली कली सब खिल गई सारी,
बाग सिंचाया ये ।
डाल डाल पर कोयल बोले,
भंवर गुजाया ये ।।2।।
अड़सठ तीरथ गुरू चरणा में,
निसदिन नहाया ये ।
निरमल काया होगी सारी,
उज्ज्वल थाया ये ।।3।।
सतगुरू देव जगत में आया,
हाथ दिखाया ये ।
संजीवन बूंटी घोल पिलाई,
दर्द मिटाया ये ।।4।।
धन धन बरस मास दिन बारा,
दीन मन भाया ये ।
मुहुर्त घड़ी लगन पल आछो,
शीश झुकाया ये ।।5।।
केवलराम मिल्या गुरू पूरा,
भाग सवाया ये ।
दानाराम गुरू के शरणे,
गुरू गुण गाया ये ।।6।।
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