सुरता वो मारा राम से लागी ओ दीनानाथ से लागी surta vo mara Ram se laagi deenanath se laagi

 

झीणो सालू ओढ़ सुहागण,

बीत्‍यो जावे ब्‍याव।

धन जोबन माया पावणी,

जातोड़ा न लागे बार।।1।।

 

परथमी माया जेल में पड़ी मारी हेली,

समझो सुहागण नार।

सुरता वो मारा राम से लागी,

दीनानाथ से लागी।।टेर।।

 

ऊगा जो तो आथसी रे,

फूल्‍या जोई कुमलाय।

चुणिया देवल ढस पड़े रे,

जनमिया जोई मर जाय।।2।।

 

उने परवत उने परवत बचे,

भर्या दरियाव।

ऊंचा चढ़ हर जोविया रे,

कुण कुण उतर्या रे पेली पार।।3।।

 

ऊंची मेड़ी राम की जी,

मांसू चढियो न जाय।

कीजो मारा श्‍याम ने,

मारी बांह पकड़ ले जाय।।4।।

 

नाथ गुलाब मल्‍या गरू पूरा,

मैं चरणा का दास।

उगम नगारो बाजियो रे,

गावे भवानी नाथ।।5।।

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