साधू भाई सतगुरू दीन दयाला,
तन मन धन अर्पण गरू आगे,
कटे पाप का झाला।।टेर।।
इक्कीस हजार छ: सौ मणिया,
ओम सोम टकशाला।
हरदम सांस उसांस अजपा,
मन पावन की माला।।1।।
इला पिंगला सुखमण में,
चांद सूरज उजियाला।
झिलमिल जोती माणक मोती,
देखे सो मतवाला।।2।।
रणण भणण गणण गाजे,
बारा मास बरसाला।
झीणी तार शिखर सूजे,
टूटे तीनू ताला।।3।।
गम है माला अगम उजाला,
या परखे गरू का बाला।
रणछाराम मस्त माला में,
जनम मरण दु:ख टाला।।4।।
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