साधू भाई गुरूगम रहस्य लीना।
भ्रमरू भ्रांति अज्ञान विडारा,
आत्म तत्व पद चीना।।टेर।।
साधन सार विचार धारणा,
धार विचार प्रवीणा।
त्याग प्रपंच असारा पसारा,
निर्भय बजाया बीणा।।1।।
समगुरू सन्मुख श्रवण मनन,
निदिध्यासन भी कीना।
योग ज्ञान युक्ति गम लेकर,
स्वांसो स्वांस चढ़ जीना।।2।।
त्रिवेणी त्रिकुटी महल भृकुटी,
झिलमिल ज्योति तीना।
भणणण रणणण गणणण दशवे,
बाजा बाजे झीणा।।3।।
अपना दर्शन आप मिलाया,
सुरत स्वामी संग दीना।
रामप्रकाश एकरस निर्गुण,
बिन घन अंग के भीना।।4।।
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