मन रे कर सतगरू रो सागो,
सत उपदेश मान मन मेरा,
मिल्यो मोक्ष को मार्गो।।टेर।।
यो जगत मुसाफिर मेलो,
हरगिज थिर न रहेगो।
उन्हे बिखरता देर न लागे,
पल पल जावे भागो।।1।।
मिरगा ज्यूं मन माने तृष्णा,
चहूंदिश फिरबा लागो।
पर तिरिया पर निशदिन किटके,
ज्यूं भिष्टा पर कागो।।2।।
इण करमा से बहुत खराबी,
तो भी मूरख न त्यागो।
राम भजन बिन फरे भटकतो,
जनम जनम दु:ख लागो।।3।।
पूसाराम गुरूगम डारी,
ज्यूं सोने में सुहागो।
रामधन हंस रामधुन लागी,
भाग पुरबलो जाग्यो।।4।।
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