सुण घर शहर,शहर घर बस्ती,
कुण सूता कुण जागे है।
हम लालन के,लाल हमारे,
तन सूता ब्रह्म जागे है।।टेर।।
जल बिच कंवल,कंवल बिच कलियां,
भंवर वासना लेता है।
पांचों चेला फिरे अकेला,
निरगुण का गुण गाता है।।1।।
जीवत जोगी माया जोड़ी,
मर्या पछे माया माणी है।
खोज्या खबर पड़े घट भीतर,
जोगाराम की बाणी है।।2।।
तपत कुण्ड पर तपसी तापे,
तपसी तपस्या करता है।
काछा लगोटा कुछ नहीं रखता,
खाली माला रटता है।।3।।
एक अपसरा आगे ऊबी,
दूजी सूरमो सारे है।
तीजी अपसरा सेज बिछावे,
परणी नहीं कुंवारी है।।4।।
परण्या पेली पुत्र जनमिया,
मात पिता मन भाया है।
रामानन्द का भणे कबीरा,
एक अखण्डी धाया है।।5।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें